जल का संरक्षण जीवन का भी संरक्षण है : सिंधिया

नमामि गंगे परियोजना के तहत राष्ट्रीय जल सम्मेलन आयोजित…

जल का संरक्षण जीवन का भी संरक्षण है : सिंधिया


ग्वालियर। नमामि गंगे परियोजना के तहत शुक्रवार से आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय जल सम्मेलन के शुभारंभ के अवसर पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संग्रहण पर जोर देते हुए कहा–प्रत्येक नागरिक एक हजार वर्गफीट में वर्षा जल का संग्रहण करे तो 75 हजार लीटर जल का संग्रहण हो सकता है। आज हम मात्र आठ प्रतिशत वर्षा जल को संग्रहित कर पाते हैं, शेष व्यर्थ ही बह कर वाष्पित हो जाता है। शुभारंभ समारोह में सिंधिया ने जानकारी दी की मुरार नदी का पुनर्रोद्धार अब नमामि गंगे परियोजना के तहत किया जाएगा। इसके लिए प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने डीपीआर बनाना भी शुरू कर दी है। 

सिंधिया के अनुसार इस नदी के जीवित होने से शहर को काफी राहत मिलेगी। सिंधिया ने जल संरक्षण को वर्तमान पीढ़ी पर आने वाली पीढ़ी का ऋण निरूपित किया। जल पुरुष राजेंद्र सिंह की चेतावनी–2035-50 तक अंचल में जल संकटशहर के यात्रा एवं पर्यटन प्रबंधन संस्थान मंय प्रारंभ हुए तीन दिवसीय जल सम्मेलन का शुभारंभ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया। सम्मेलन में घटते जलस्त्रोत और  नदी जल-सरंक्षण को लेकर चर्चा की गई। पानी की गंभीरता को लेकर सम्मेलन में आए जल पुरुष डा.राजेंद्र सिंह ने बताया कि 2035 से 2050 तक पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाएगी। 


कई देशों से अकाल के कारण विस्थापन प्रारंभ हो चुका है।  वर्तमान में लगभग 75 प्रतिशत भूजल खत्म हो चुका है। ग्वालियर चंबल संभाग में भी स्थितिया ख़तरनाक हैं। यहां बीहड़ो में भी पानी खत्म हो रहा है। डॉ. राजेंद्र सिंह ने बताया कि बताया कि वर्तमान में नदियों पर लगातार बांध बनाए जाने के कारण उनका बहाव काफी कम हो गया है। गंगा नदी का बहाव भी 30 प्रतिशत तक रह गया है। उन्होंने बताया कि जब तक आमजन नदियों, प्रकृति से नहीं जुड़ेंगे तब तक नदियों को बचाने का अभियान सफल नहीं हो सकता है। आमजन को प्रकृति से जोड़ने के लिए ही हमारी संस्कृति में नदियों को मां का दर्जा दिया गया है। 

गौरतलब है कि तीन दिवसीय जल सम्मेलन में 11 दिसंबर को केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल शामिल होंगे। जल पुरुष राजेंद्र सिंह तीनों दिन उपस्थित रहेंगे। तेलंगाना वाजल आयोग के अध्यक्ष प्रकाश राव, जल बिरादरी के राष्ट्रीय संयोजक सत्यनारायण बुलसेट्टी, कर्नाटक से अप्पा साहब, मुंबई से पर्यावरणविद एवं शिक्षाविद प्रो.स्नेहल धोंडे सहित बड़ी संख्या में देश भर के जल संरक्षण विशेषज्ञ उपस्थित होंगे। सम्मेलन के पहले दिन शुक्रवार को दोपहर 1:30 बजे तक उद्घाटन सत्र चलेगा, इसके बाद 2:30 बजे तक भोजनावकाश रहेगा। 


अपरांह 3 से 3:30 बजे तक जलवायु परिवर्तन का बढ़ता प्रभाव व उससे निपटने में समुदाय की भूमिका पर व्याख्यान होंगे। अपरांह 3:30 से सांकाल 5:30 बजे तक जल संकट और उससे निपटने के उपाय बताए जाएंगे। शाम 5:30 से 6:30 बजे तक तालाबों का अस्तित्व एवं संस्कृति, विलुप्त होते तालाब और इसके दुष्प्रभाव पर चर्चा होगी। शाम 6:.30 बजे से 7:30 बजे तक भारत में जल संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों पर लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा। 11 दिसंबर शनिवार को सुबह 10 से 10:30 बजे तक प्रार्थना सभा होगी। 10:30 से 12 बजे तक भारत सरकार द्वारा जल संरंक्षण के लिए किए जा रहे प्रयास और समुदाय की अपेक्षित भूमिका पर चर्चा होगी। इसमें केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल का उद्बोधन होगा। 

दोपहर 12 से 1 बजे तक जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन में समुदाय की भागीदारी संभावना एवं चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी। दोपहर 1 से 2 बजे तक अटल भूजल योजना के क्रियान्वयन में सिविल सोसायटी की भूमिका, 2 से 3 बजे तक भोजनावकाश, अपरांह 3 से शाम 6 बजे तक नदी पुनर्जीवन, समाज एवं सरकार पेनिसुलर रिवर का आयोजन होगा। शाम 6 से 7 बजे तक सांस्कृतिक सभा होगी। 12 दिसंबर को सुबह 9:30 बजे से 11 बजे तक खेती एवं उद्योगों में जल के बढ़ते उपयोग और भविष्य की चुनौतियां पर चर्चा की जाएगी। इसके बाद 11 बजे से 1.30 बजे तक समापन सत्र होगा।

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