Gurjar प्रतिहार वंश मूल रूप से गुर्जर है : आचार्य वीरेन्द्र विक्रम

क्षत्रिय कोई जाति नहीं, वर्ण है…

गुर्जर प्रतिहार वंश मूल रूप से गुर्जर है : आचार्य वीरेन्द्र विक्रम 

ग्वालियर। अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के द्वारा बुधवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान पत्रकारों को बताया गया कि गया कि चिरवाई नाके पर जो गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज की मूर्ती की स्थापना हुई है ये ग्वालियर शहर के लिए गौरव की बात है। गुर्जर सम्राट मिहिर भोज रघुवंशी सम्राट थे और गुर्जर प्रतिहार वंश के सबसे प्रतापी सम्राट थे जिन्होने 53 वर्षों तक अखंड भारत पर शासन किया। उनकी पहचान समाज में गुर्जर सम्राट के नाम से ही है। उनके समकालीन शासकों राष्ट्रकूट और पालो ने अपने अभिलेखों में उनको गुर्जर कहकर ही संबोधित किया है। 851 ईसवी मे भारत भ्रमण पर आए अरब यात्री सुलेमान ने उनको गुर्जर राजा और उनके देश को गुर्जरदेश कहा है। सम्राट मिहिर भोज के पौत्र सम्राट महिपाल को कन्नड़ कवि पंप ने गुर्जर राजा लिखा है। उन्होंने बताया कि प्रतिहारो को कदवाहा, राजोर, देवली, राधनपुर, करहाड़, सज्जन, नीलगुंड, बड़ौदा के शिलालेखों में, परमारो को घागसा के शिलालेख, तिलकमंजरी, सरस्वती कंठाभरण में, चालुक्यों को कीर्ति कौमुदी और पृथ्वीराज विजय में, चौहानो को पृथ्वीराज विजय और यादवो के शिलालेखों में गुर्जर जाति का लिखा हुआ है। 

भारत के इतिहास में 1300 ईसवी से पहले राजपूत नाम की किसी भी जाति का कोई उल्लेख नहीं है। क्षत्रिय कोई जाति नहीं है, क्षत्रिय एक वर्ण है जिसमे जाट, गुर्जर, राजपूत  अहीर (यादव ), मराठा आदि सभी जातिया आती है। उन्होंने बताया की हमारे सारे प्रमाण मूल लेखो, समकालीन साहित्य और शिलालेखों पर आधारित है।  राजपूत समाज के इतिहासकार जब चाहे किसी भी टीवी चैनल पर डिबेट कर सकते है । संगठन के संस्थापक  एवं संरक्षक नरेंद्र गुर्जर ने बताया कि देश मे सर्वप्रथम स्वामीनारायण संप्रदाय के अक्षरधाम मंदिर दिल्ली के भारत उपवन में सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति स्थापित करवाई गई थी वहां उनके नाम के समक्ष पट्टिका पर लिखा है।वार्ता के दौरान अपनी बात को सही सिद्ध करने के लिए पत्रकारों के सामने उन्होंने कुछ ऐतिहासिक लिखित तथ्य भी रखें। महाराज गुर्जर सम्राट मिहिर भोज। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लक्सर हरिद्वार मे और दिल्ली के उपमुख्य मंत्री मनीष सिसोदिया ने कोटला मुबारकपुर दक्षिण दिल्ली में गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा गुर्जर लिखकर स्थापित करवाई है। 

ये दोनो व्यक्ति ही राजपूत समाज से है। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और जाट समाज के नेता स्वर्गीय साहिब सिंह वर्मा ने आज से 20 साल पहले दिल्ली के अंतर्गत आने वाले नेशनल हाईवे 24 के हिस्से का नाम गुर्जर सम्राट मिहिर भोज मार्ग रखवाया था। राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग गुर्जर ने बताया कि ग्वालियर और चंबल संभाग में आज भी गुर्जर समाज के गांवो मे गुर्जर प्रतिहार कालीन मंदिरो के अवशेष मौजूद है। इनमे बटेश्वर, नरेश्वर, बरहावली, डांग सरकार प्रमुख है। पद्मश्री के के मुहम्मद ने बटेश्वर मंदिर श्रंखला मुरैना का जीर्णोद्वार करवा कर इस ऐतिहासिक विरासत की रक्षा की तथा उन्होने ये भी घोषित किया ये सारे निर्माण गुर्जर प्रतिहार शासकों द्वारा करवाए गए थे। ग्वालियर किले पर बने तेली के मंदिर और  चतुर्भुज मंदिर का निर्माण भी गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज ने अपने शासनकाल मे करवाया था । इस प्रैस वार्ता का अयोजन पूर्व पार्षद अलबेल सिंह घुरैया द्वारा करवाया गया। इस अवसर पर महाशय जे पी तंवर, शिशपाल भड़ाना, गौरव तंवर, अशोक अहमाना, गिर्राज गुर्जर, पप्पू मावई, अभिनव गुर्जर, मोहित मंडार, रवि नागर आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।

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