वो कल थे तो आज हम है उनके ही तो अंश हम है..
जीवन मिला उन्हीं से उनके कृतज्ञ हम है...
सदियों से चलती आयी श्रंखला की कड़ी हम है...
गुण धर्म उनके ही दिये उनके प्रतीक हम है..
रीत रिवाज़ उनके है दिये संस्कारों में उनके हम है...
देखा नहीं सब पुरखों को पर उनके ऋणी तो हम है...
पाया बहुत उन्हीं से पर न जान पाते हम है...
दिखते नहीं वो हमको पर उनकी नज़र में हम है...
देते सदा आशीष हमको धन्य उनसे हम है...
खुश होते उन्नति से दुखी होते अवनति से देते हमें सहारा उनकी संतान जो हम है...
इतने जो दिवस मनाते मित्रता प्रेम आदि के पितरों को भी याद कर ले जिनकी वजह से हम है...
आओ नमन कर लें कृतज्ञ हो लें क्षमा माँग लें आशीष ले लें पितरो से जो चाहते हमारा भला उनके जो अंश हम है...
श्री पितृ दैव्यै नमो नम:
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