लॉकडाउन की दहशत में लौट रहे थे घर…
जौरासी घाटी में बस पलटने से 3 की मौत 5 घायल
ग्वालियर। कोरोना के बढ़ते केस और फिर से लॉकडाउन की आशंका पर दिल्ली से एक बस में ठसाठस भरकर मजदूर और उनके परिवार म.प्र. के छतरपुर के लिए चले थे। ग्वालियर में झांसी हाईवे पर ओवरलोड तेज रफ्तार बस पलट गई। हादसे में बस के नीचे दबकर 2 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई है 24 लोग घायल हैं। घटना मंगलवार सुबह जौरासी घाटी के पास हुई है। हादसे की सूचना मिलते ही खुद पुलिस कप्तान घटना स्थल पर पहुंचे गए थे। फिलहाल मृतकों की पहचान नहीं हो सकी है। बस में सवार यात्रियों ने खिड़कियों से कूदकर अपनी जान बचाई है। हाल ही में दिल्ली में भी लॉकडाउन की घोषणा की गई है।
इसी लॉकडाउन की दहशत के चलते म.प्र. के छतरपुर के ऐसे मजदूर जो कुछ महीने से वहां मजदूरी कर रहे थे उन्होंने पलायन शुरू कर दिया है। सोमवार रात 2 बजे बस नंबर यु.पी.93 सी.टी.8593 करीब एक सैकड़ा के लगभग मजदूर और उनके परिवार के सदस्य बस में सवार होकर छतरपुर के लिए निकले थे। सुबह 7 बजे बस ग्वालियर पहुंची। यहां 10 लोग उतर गए। इसके बाद बस छतरपुर के लिए रवाना हुई। बस अभी ग्वालियर के झांसी रोड इलाके से निकलकर जौरासी घाटी पर पहुंची ही थी।कि चालक बस को तेज रफ्तार में दौड़ा रहा था। अचानक बस बेकाबू हुई और पलट गई।
हादसे के बाद वहां चीख पुकार मच गई। बस की छत पर बैठे मजदूर नीचे आकर गिर गए और बस के नीचे दब गए। घटना के बाद आसपास के गांव के लोग वहां पहुंच गए। गांव के लोग बचाव में जुट गए और पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और घायल ज्यादा देखकर अन्य थानों का बल भी मौके पर बुलवा लिया। दबकर दो की मौत-बस पलटने से उसके नीचे दबकर छतरपुर के दो मजदूरों की बस के नीचे दबने से मौत हो गई है। घटना में घायलों को मौके पर ही उपचार कराया गया। कुछ को डबरा तो कुछ को ग्वालियर भेजा गया है। क्रेन की मदद से बस को हटवाकर उसके नीचे से शव निकाले गए हैं। मृतक बुरी तरह दबे हुए हैं।
वह कौन थे यह अभी पहचान की जा रही है। कांच फोड़कर बचाए 20 यात्री-पुलिस घटना स्थल पर पहुंचती उससे पहले आसपास के लोग वहां पहुंच गए। गांव के लोगों ने बचाव कार्य शुरू कर दिया। बस की खिड़कियों के कांच फोड़कर अंदर पहुंचे और वहां से बच्चों और महिलाओं को बाहर निकाला है। महिलाओं ने बस से कूदकर अपनी जान बचाई है। इसके बाद पुलिस कप्तान अमित सांघी खुद घटना स्थल पर पहुंच गए। पुलिस ने क्रेन की मदद से बस को उठवाकर अन्य घायलों को बाहर निकलवाया। 52 सीटर में बैठे थे एक सैकड़ा यात्री-हादसे की मूल वजह लॉकडाउन से घबराकर मजदूरों का घर लौटना नहीं बल्कि 52 सीटर बस का ओवरलोड होना था।
बस में 52 लोगों को बैठाने की सीट थी, लेकिन ज्यादा कमाने के लालच में बस के स्टाफ ने एक सैकड़ा सवारी भर लीं। ऐसा भी पता लगा है कि इन मजदूरों से दोगुना किराया भी लिया गया है। यदि परिवहन का अमला मंगलवार सुबह चैकिंग कर रहे होते तो यह हादसा होता ही नहीं, लेकिन वह तो सिर्फ हादसे के बाद ही चैकिंग करने निकलते हैं। लॉकडाउन की दहशत में लौट रहे थे घर-हादसे में घायल रामवती ने बताया कि वह अपने पति के साथ दिल्ली की एक मल्टी में मजदूरी करती है। दो बच्चे भी साथ रहते थे।
पिछले साल वह पैदल चलकर अपने घर पहुंचे थे। दीपावली के बाद फिर काम पर पहुंच गए थे। अभी दिल्ली में लॉकडाउन की घोषणा हुई तो लगा कि फिर से न फंस जाएं। इस पर वह वापस अपने घर टीकमगढ़ के लिए लौट रहे थे। छतरपुर निवासी रामौतार का कहना है कि जिस समय हादसा हुआ वह नींद में था। रात 2 बजे दिल्ली से चले थे। वह दिल्ली सरकार के एक सीवर प्रोजेक्ट पर मजदूरी कर रहा था। वहां ठेकेदार से पता लगा कि फिर लॉकडाउन लग रहा है। इसी डर से परिवार को लेकर रात को ही जो बस मिली उसमें सवार हो गए। हादसे के समय बस रफ्तार में थी।
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