देवांगी पुरंदरे ने भाव भंगिमाओं में समाया द्रोपदी का चीर हरण

डॉ. रागेश्री पुरंदरे की स्मृति में शास्त्रीय संगीत समारोह...

देवांगी पुरंदरे ने भाव भंगिमाओं में समाया द्रोपदी का चीर हरण

ग्वालियर। बुधवार को दाल बाजार स्थित नाट्य मंदिर में तराना आर्ट एंड म्यूजिक ने अंकुर सांस्कृतिक अकादमी ग्वालियर के सहयोग से डॉ. रागेश्री पुरंदरे की स्मृति में शास्त्रीय संगीत समारोह रखा। मुख्य अतिथि संत कृपाल सिंह महाराज थे।

विशिष्ट अतिथि के रूप में दूरदर्शन केंद्र के प्रभारी इन्द्रेश बिनकर और संगीत विश्वविद्यालय के गायन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रंजना टोणपे उपस्थित थे। अध्यक्षता पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने की। समारोह में पहली बार संगीत विवि के युवाओं ने प्रस्तुति दी। फिर आर्या त्रिपाठी ने कथक पेश किया।

इस दौरान पं. विजय शंकर को संगीत संरक्षक सम्मान, देवाशीष गांगुली को शिरोमणि सम्मान और डॉ. मोनिका श्रीवास्तव को कथक शिरोमणि सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। समारोह में दिल्ली के देवांगी पुरंदरे ने कथक की प्रस्तुति दी।

उन्होंने मधुराष्ट्रकम से शुरूआत की फिर धमार की प्रस्तुति दी। इसके बाद द्रोपदी चीर हरण का वर्णन कथक से किया। फिर ग्वालियर के भरत नायक ने सितार पर राग पुरिया कल्याण जोड़, झाला और आलाव पेश किया। प्रस्तुति की बंदिश झपताल एवं तीनताल में निबद्घ थी।

अंत में दिल्ली की गायिका पद्मजा चक्रवर्ती ने जोग एक ताल में अपने गायन से उपस्थित श्रोताओं को परिचित कराया। उनके साथ तबले पर अख्तर हसन और हारमोनियम पर पारोमिता मुखर्जी थे। इस मौके पर जयनारायण श्रीवास्तव, विकास विपट एवं विनीता जैन उपस्थित थे।
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